મૌન ની વાતો…

किसी दिल की बात सुनो,
जिस मे
सच्चा प्यार धडकता है.

तुम भी करोगे महसूस,
किस कदर वॉ तडपता है..

साथ न दे सको,
उसके पास न रह सको भले.

दूर से भी थाम सकते हो,
कुछ खास न कह सको भले..

तुम्हे वही दिखा शायद,
जो दूसरो ने दिखाया.

फिर क्या, वही सिखे
जो धूल भरी
नज़रों ने सिखाया..

इन सब से परे उसमे
एक मासूमियत बसी है.

शुक्र कर खुदा का,
वॉ तुज मे फसी है..

कभी आंखो मे छलकता
कभी होठो पे मलकता
हमने देखा है.

सिर्फ तुजे मांगता
तेरे लिए तरसता
हमने देखा है..

वॉ प्यार…

वॉ प्यार क्या करता,
प्यार के अलावा भी
वहां बहुत कुछ था.

बस दिल मे छिपा रह गया,
क्यूँकि तु बहुत खुश था..

सच्चे प्यार को
मिल ही जाता है रस्ता,
तो क्या उस पर भी ना चले.

क्या चाहते हो
मरीज़ के पास इलाज हो,
फिर भी उसका दर्द ना टले..

खैर
किसी के चाहने से क्या होता है,
जब भी कोइ पाक दिल रोता है.

खुदा किसी को तो भेज देता है,
जो उसको सुहानी सेज देता है..

बस वहीं सेज पर
सहलते सहलाते
बहलते बहलाते
उसने पूरा सफर काटना था.

खुदा को ही होगा ये मंज़ूर,
कुछ देर के लिए
एक मोड पर
उसे भी बांटना था..

तो क्या
वॉ सुकून वॉ जुनून,
उसको वॉ याद भी न करे.

वॉ नहीं था
वहां पर तो क्या,
उसकी बातें
उसके बाद भी न करे..

तुम बताओ,
तुम क्या करोगे एसे हालात मे.

जवाब नहीं चाहिए हो,
और बंधना भी न हो सवालात मे..

छोडो क्या फर्क पडता है,
जो हुआ वॉ बित गया.

इज़्ज़त रह गई खुदा की,
कुछ पल के लिए तो
प्यार जित गया..

फिर उस पर भी
सवाल तो उठने थे.

कहीं से मवाद
कहीं से मलाल तो उडने थे..

प्यार को क्या
उसे तो आदत है
इन सब की.

उसने तो भैया
ये राह पकडी है
न जाने कब की..

अदालत मे फिर भी
उसने सफाई नहीं दी.

वॉ था हर जगह मौजूद
फिर भी गवाही नहीं दी..

एक तो उसकी कोइ
सुनने वाला नहीं था.

एक तिनका रह गया था अधूरा,

प्यार के साथ
भरोसे का धागा
बुनने वाला नहीं था..

लेकिन उपर वाला
एसे हारने कैसे देता.

भरोसा ज़रूरी नहीं
जिस इश्क मे,
उसे मारने कैसे देता..

प्यार ने कहा
हम कुछ नहीं देखते,
सब की असलियत के सिवा.

जो पास आता हमारे
उसको नहीं फेंकते,
सबमे ही तो बसा है शिवा..

हमे इजाज़त नहीं
कि हम सोचे,
कोइ क्यूँ हमारे पास आता है.

हम महसूस करते बस उसे,
जो वॉ हसीन सौगात लाता है..

उसे कुछ चाहिए तो
वॉ कुछ देकर भी जाता है.

*इसने क्या दिया* है क्या बताउं,
वॉ जो कोइ शायद
अपनी खुदी देकर भी पाता है..

मैने नहीं संभाला उसको,
हम दोनो को ही संभलना था.

भले उसे थोडा ज़्यादा,
मुजे भी बहुत बदलना था..

मुजे किसी का हाथ मिला है,
वॉ हर पल
उसके साथ रहा और रहेगा.

कभी लोरी बन कर बालो मे,
कभी भोली कह कर गालो मे फिरता
वॉ हाथ रहा और रहेगा..

क्या कहूँ
उसकी तन्हाई का वॉ आलम
जो मैने देखा और
महसूस किया है.

एक तरह से
मैने ही भेजा था उसको,
उसे जो मिला वहां
मैने ही बहुत खूब दिया है..

वॉ बैठी थी अकेली सी,
पर मैं उसके साथ था.

थाम रख्खा था
जिसने उसको,
वॉ मेरा ही तो हाथ था..

कुछ पल वॉ खुद के साथ बिताये,
बाहर खुदा के साथ रह कर
खुद के अंदर भी उसे जगाये..

मैने ही छोडा था
उसको अपने हाल पर.

कि उसके जवाब की
मोहर लग जाये,
अंदर के हर सवाल पर..

जहां मुजे मिला है खुदा,
वहां उसे भी मिल जाये.

मैं तो बार बार कहूँगा,
अकेला जाये या
किसी के साथ
हर कोइ अपनी मंज़िल पाये..

उस मंज़िल की जलक,
काश मिल गई हो उसे.

आगे चलने की सडक,
साफ दिख गई हो उसे..

इतना जान कर
फिर उसके पास गया मैं,

जो उस खामोशी मे चाहिए थी,
बन कर वॉ आवाज़ गया मैं..

उसने क्या कहा
मैने क्या सुना,
मैने क्या किया,
उसने क्या बुना*
सब लफ्जों के परे है.

एहसास प्यार इश्क
दिल की आवाज़
इन पर चलने वाले कहां जायेंगे,
वॉ कल भी वहां थे,
आज भी वहीं खडे है..

*बुना – महसूस किया

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